Bachpan: Hindi Kavita
Overview
बचपन इंसान के जीवन का सबसे ख़ूबसूरत समय होता है। एक ऐसा समय जो बड़े होने के बाद एक ख़ूबसूरत याद बन कर रह जाता है। चलिए पढ़ते और सुनते हैं बचपन पर एक हिंदी कविता।
Bachpan (बचपन) इंसान के जीवन का सबसे ख़ूबसूरत समय होता है जो बड़े होने के बाद एक मीठी सी याद बन कर रह जाता है। चलिए पढ़ते और सुनते हैं बचपन पर एक हिंदी कविता:
बचपन: हिंदी कविता
बचपन
बड़े होने की जल्दी,
आत्मनिर्भर होने की ख़ुशी
बचपन को अक्सर लुभाती हैं
समाज के दायरों से अनजान
निर्विकार, निर्भीक बचपन
मगन रहता है अपनी ही छोटी सी दुनिया में।
सब कुछ मिल जाने के बाद
बड़े हो जाने के बाद
हर निर्णय लेने का अधिकार पाने के बाद
फिर क्यों बावरा मन बचपन वाले दिन,
यादों की ग़ठरी खोल खोल कर ढूँढता है?
इतना जटिल हो जाएगा जीवन
इस बात से अनजान,
खिलौनों और दादी नानी की
कहानियों से बहलता बचपन,
खेलता है बारिश के पानी में,
खुश हो जाता है बस
काग़ज़ की नाव पानी में तैरा कर।
काश कोई बताए इस बचपन को
की क्या ख़ासियत है इसमें
ईर्ष्या,द्वेष,धर्म,भेद-भाव से परे
बड़ों के प्यार के साये में
कितना महफ़ूज़ है ये।
कोरे काग़ज़ सा
ढेरों सवालों से भरा इसका मन
परेशानियों और जिम्मेदारियों
के झमेले से दूर,
बड़ों की हर बात, हर कहानी
को सच मानता मासूम सा बचपन।
मौज मस्ती में डूबा हुआ
बड़ों का हाथ थामे,
इस चमकदार दुनियाँ को देखते हुए,
धीरे धीरे बड़ा हो जाता है ये बचपन
शामिल होने इस दुनिया की भाग दौड़ में।
बड़े होने के बाद यही बचपन
यादों के झरोखे से अक्सर नज़र आता है,
फँसा देख ज़िंदगी की उलझनों में,
मन की गलियों में फिर से दौड़ लगाता है
पर लाख कोशिश करो फिर ये
पकड़ में ना आता है।
बचपन और बड़े होना कुछ ऐसे ही है,
एक दूसरे को देख कर ललचाते है,
अंतर सिर्फ़ इतना है की बचपन को
बड़े होने का अवसर मिल जाता है,
लेकिन बड़े होने के बाद,
बचपन सिर्फ़ एक ख़ूबसूरत याद बन कर रह जाता है।
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